ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न आस तुम बदल गए शायरी, गिला शिकवा << तू भी ख्वा-म-खाह बढ़ रही ... मेरी चाहत ने उसे खुशी दे ... >> ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न आससब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए! Share on: